जब महाभारत में कृष्ण ने तोड़ा था अपना वचन...

किसी दोस्त को कहते सुना था कि श्री कृष्ण ने तो महाभारत की लड़ाई में कोई अस्त्र या शस्त्र उठाया ही नहीं. उन्होंने सिर्फ अर्जुन के सारथी बनने की बात स्वीकारी थी और पूरे युद्ध में अपने उपदेश दिए थे, लेकिन क्या ये वाकई सही है? इस बात के पीछे दो तर्क दिए जाते हैं. सबकी शुरुआत तब होती है जब दुर्योधन भीष्मपितामह पर गुस्सा दिखा रहा था. वजह ये थी कि एक भी पांडव नहीं मरा था.


अब भीष्म ने दुर्योधन को क्या उत्तर दिया इसके बारे में भी दो कहानियां हैं. पहली कहानी के मुताबिक भीष्म गुस्सा होकर दुर्योधन को मंत्र पढ़कर 5 सोने के तीर देते हैं और कहते हैं कि उन्ही से कल पांडवों का अंत होगा. इसपर दुर्योधन तीर अपने पास रख लेते हैं. जब श्री कृष्ण को ये पता चलता है तो वो अर्जुन को दुर्योधन के पास भेजते हैं. कथाओं में ये किस्सा मशहूर है कि अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी और दुर्योधन ने अर्जुन को वचन दिया था कि वो उससे कुछ भी मांग सकता है. इसी में कृष्ण अर्जुन को दुर्योधन से पांच सोने के तीर मांगने को कहते हैं. दुर्योधन दे देता है. भीष्मपितामह इस बात से खफा हो जाते हैं और अर्जुन को मारने के लिए युद्ध करते हैं. भीष्म के आगे अर्जुन टिक नहीं पाते और गिर जाते हैं. उस समय श्री कृष्ण रथ का टूटा हुआ पहिया उठाकर भीष्म को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं, हालांकि अर्जुन उन्हें रोक लेता है और बाद में भीष्म रथ से गिरकर तीरों पर गिर जाते हैं, लेकिन फिर भी कृष्ण हथियार उठा लेते हैं.